Shiv chaisa - An Overview
Shiv chaisa - An Overview
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धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। शारद नारद शीश नवावैं॥
लोकनाथं, शोक – शूल – निर्मूलिनं, शूलिनं मोह – तम – भूरि – भानुं ।
अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥
जय सन्तोषी मात अनूपम। शान्ति दायिनी more info रूप मनोरम॥ सुन्दर वरण चतुर्भुज रूपा। वेश मनोहर ललित अनुपा॥
. शिव चालीसा लिरिक्स के सरल शब्दों से भगवान शिव को आसानी से प्रसन्न होते हैं
प्रगट उदधि मंथन में more info ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥
कीन्ही दया तहं करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
संकट में पूछत नहिं कोई ॥ स्वामी एक है आस तुम्हारी ।
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥